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शारदीय नवरात्रि के विशेष तथ्य और धार्मिक महत्व

शारदीय नवरात्रि हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे विशेष रूप से माँ दुर्गा की उपासना के लिए मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष में दो बार आता है, लेकिन शारदीय नवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व सबसे अधिक है। शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक मनाई जाती है, जिसमें नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।

शारदीय नवरात्रि के विशेष तथ्य:

  1. माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा: नवरात्रि के नौ दिनों में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो इस प्रकार हैं: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री। हर दिन विशेष मंत्रों और पूजा विधि से माँ के इन रूपों की आराधना की जाती है।
  2. कलश स्थापना: शारदीय नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना से होती है, जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। इसे शुभ मुहूर्त में किया जाता है और इसके माध्यम से माँ दुर्गा का आह्वान किया जाता है।
  3. व्रत और उपवास: नवरात्रि के दौरान भक्तगण नौ दिनों तक व्रत रखते हैं और केवल फलाहार करते हैं। यह व्रत शारीरिक और मानसिक शुद्धि का प्रतीक माना जाता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।
  4. कन्या पूजन: नवरात्रि के अंतिम दिन यानी अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन छोटी कन्याओं को भोजन करवाकर, उन्हें सम्मानित किया जाता है और उनके चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जाता है।
  5. रामलीला और दशहरा: शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन दशहरा मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था, और इसी उपलक्ष्य में रामलीला का आयोजन भी होता है।

शारदीय नवरात्रि का धार्मिक महत्व:

  1. आध्यात्मिक जागरूकता: शारदीय नवरात्रि आत्मा की शुद्धि और आत्मज्ञान की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण समय है। माँ दुर्गा की उपासना से भक्तों को मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
  2. बाधाओं का नाश: नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की पूजा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं। माँ का आशीर्वाद प्राप्त कर भक्त अपने जीवन में उन्नति और समृद्धि की प्राप्ति करते हैं।
  3. शक्ति की उपासना: माँ दुर्गा शक्ति और साहस का प्रतीक हैं। शारदीय नवरात्रि के दौरान माँ दुर्गा की उपासना से भक्तों में आत्मविश्वास और साहस का विकास होता है, जो उन्हें जीवन की चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा देता है।

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