उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, एक अत्यंत विशेष और अद्वितीय धार्मिक स्थल है। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर के ऊपर स्थित है और इसे साल में केवल एक दिन, नाग पंचमी के दिन ही खोला जाता है। इस मंदिर की अद्वितीयता और यहां की पूजा विधि इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।
नागचंद्रेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्व: नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान शिव के नाग रूप और उनके साथ माता पार्वती की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर में शिवलिंग के चारों ओर नागदेवता की मूर्ति स्थित है, जो नागों के देवता के रूप में पूजा जाता है। हिंदू धर्म में नागों को विशेष स्थान दिया गया है, और नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा का अत्यधिक महत्व है।
मंदिर की अनोखी खासियत: नागचंद्रेश्वर मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यह मंदिर साल में केवल एक बार नाग पंचमी के दिन खोला जाता है। उस दिन हजारों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए यहां आते हैं। मंदिर के खुले होने की यह परंपरा सदियों पुरानी है और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
मूर्ति की विशेषता: मंदिर में स्थापित शिव और नाग की मूर्ति एक ही पत्थर से तराशी गई है। इस मूर्ति में भगवान शिव के गले में नाग लिपटा हुआ दिखता है, जो उनके शक्ति और साहस का प्रतीक है। यह मूर्ति वास्तुकला की दृष्टि से भी अत्यंत अद्वितीय और आकर्षक है।
धार्मिक मान्यता: श्रद्धालु मानते हैं कि नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं और विशेष रूप से नाग दोष से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन यहां पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। इसके साथ ही, यह स्थान तांत्रिक पूजा और अनुष्ठानों के लिए भी प्रसिद्ध है।
नाग पंचमी का महत्व: नाग पंचमी के दिन यहां विशेष अनुष्ठान और हवन किए जाते हैं। श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर को दूध, फूल, और बेलपत्र अर्पित करते हैं और उनसे अपने जीवन की समस्याओं से मुक्ति की कामना करते हैं। नागचंद्रेश्वर मंदिर का दर्शन और यहां पूजा करना एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव होता है, जो इसे उज्जैन के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक बनाता है।
उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर और काल भैरव मंदिर जैसी धार्मिक स्थल भक्तों के लिए न केवल आध्यात्मिक शांति का स्रोत हैं, बल्कि यहां की परंपराएं और विशेषताएं इन्हें और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं।