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जानिए श्राद्धकर्म के विषय में विस्तृत एवंमहत्वपूर्ण जानकारी एवं किस तरह की रखे पितृपक्ष में सावधानी

जानिए पूर्णिमा श्राद्ध से लेकर अमावस्या श्राद्ध तक विस्तृत वर्णन –
पूर्णिमा श्राद्ध – 20 सितंबर
प्रतिपदा श्राद्ध – 21 सितंबर
द्वितीया श्राद्ध – 22 सितंबर
तृतीया श्राद्ध – 23 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – 24 सितंबर
पंचमी श्राद्ध – 25 सितंबर
षष्ठी श्राद्ध – 26 सितम्बर
षष्ठी श्राद्ध – 27 सितंबर (कपिला षष्ठी) षष्ठी का श्राद्ध दौनों दिन मान्य है
सप्तमी श्राद्ध – 28 सितंबर
अष्टमी श्राद्ध- 29 सितंबर
नवमी श्राद्ध – 30 सितंबर
दशमी श्राद्ध – 1 अक्तूबर
एकादशी श्राद्ध –2 अक्टूबर
द्वादशी श्राद्ध- 3 अक्टूबर
त्रयोदशी श्राद्ध – 4 अक्टूबर
चतुर्दशी श्राद्ध- 5 अक्टूबर
अमावस्या श्राद्ध –6 अक्टूबर
सर्व पित्रमोक्ष स्नान दान श्राद्ध

इस 15 दिन के पितृपक्ष में रखे निम्न सावधानिया –
इन 15 दिनों में हमारे पूर्वज धरती पर आते है इसलिए ऐसा कोई काम नहीं करे जिससे हमारे पूर्वज नाराज हो जाये
1- गलती से भी सूर्यास्‍त के बाद श्राद्ध न करें. ऐसा करना शुभ नहीं होता है.
2- इस दौरान बुरी आदतों, नशे, तामसिक भोजन से दूर रहें. पितृ पक्ष में नॉनवेज एवं शराब जैसे पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए
3 – जो व्यक्ति पिंडदान आदि करता है उसे ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए एवं बाल नाख़ून आदि नहीं काटने चाहिए
4 – इन दिनों किसी पशु पक्षी को नहीं सताए ऐसा नुकसान दायक रहता है

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