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काल भैरव के मदिरापान की परंपरा के पीछे का रहस्य

उज्जैन स्थित काल भैरव मंदिर, जहां भगवान काल भैरव की पूजा होती है, एक अद्वितीय और रहस्यमय धार्मिक स्थल है। यह मंदिर विशेष रूप से अपने अनूठे अनुष्ठान, जिसमें भगवान काल भैरव को मदिरा अर्पित की जाती है, के लिए प्रसिद्ध है। यह परंपरा न केवल भारत बल्कि दुनिया के अन्य हिस्सों में भी अद्वितीय है।

काल भैरव की पूजा का महत्व: भगवान काल भैरव को शिव के रौद्र रूप के रूप में जाना जाता है। इन्हें न्याय, सुरक्षा, और मृत्यु के देवता माना जाता है। भक्तों का मानना है कि काल भैरव की पूजा से भय, रोग, और जीवन की समस्याओं का नाश होता है। विशेष रूप से तांत्रिक पूजा में काल भैरव का अत्यधिक महत्व होता है, क्योंकि इन्हें शक्ति और तांत्रिक सिद्धियों का देवता माना जाता है।

मदिरापान की परंपरा: काल भैरव को मदिरा अर्पित करने की परंपरा का एक गहरा तांत्रिक और धार्मिक महत्व है। यह परंपरा शैव और तांत्रिक पूजा पद्धति से संबंधित है, जिसमें भगवान को मदिरा का भोग लगाया जाता है। मंदिर में भगवान काल भैरव की प्रतिमा के मुख के सामने एक बर्तन में मदिरा अर्पित की जाती है, और आश्चर्यजनक रूप से यह मदिरा धीरे-धीरे प्रतिमा द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। भक्त इसे भगवान की प्रसन्नता का प्रतीक मानते हैं।

रहस्य और वैज्ञानिक पहलू: भले ही यह प्रक्रिया धार्मिक और तांत्रिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हो, परंतु इसे लेकर कई वैज्ञानिकों ने भी अपनी राय दी है। कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि यह प्रतिमा की संरचना या विशेषता के कारण हो सकता है, जिसमें तरल पदार्थ को भीतर अवशोषित किया जा सकता है। फिर भी, भक्त इसे भगवान की चमत्कारिक शक्ति मानते हैं और इसी आस्था के कारण यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।पूजा का उद्देश्य: यहां आने वाले श्रद्धालु काल भैरव से अपने जीवन में आ रही कठिनाइयों से मुक्ति की कामना करते हैं। भक्तों का विश्वास है कि काल भैरव को मदिरा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और उनके जीवन की समस्याओं का समाधान होता है। यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है और आज भी पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ निभाई जाती है।
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